Wednesday, December 7, 2011

मैं और छोटू...

Dear Friends,
Recently I have written a poem and sent it to a daily newspaper JANSANDESH TIMES. One morning I was amazed to see that it has been published there. I want to share it with you, hope you'll like it.


कविता
                                  मैं और छोटू...
                                   

कल सुबह
मैने ढाबे पर काम करने वाले
छोटू को देखा
जब मैं बस स्टॉप पर खड़ा
स्कूल बस का इंतज़ार कर रहा था

मेरे कंधे पर बस्ता था
और छोटू के हाथ में गमछा
मैं थोड़ा परेशान था
और छोटू गुनगुना रहा था
मैं अचंभित था
हम‍उम्र होने के बावजूद
हमारे सपने और इच्छाएँ कितनी अलग थी
मैं पढ़-लिख कर
किसी कम्पनी का सी.ई.ओ बनना चाहता हूँ
डिज़ाइनर कपड़े, मँहगी कारें मेरे ख़्वाब हैं
एक कोठी मेरी ज़रूरत है

पर छोटू का सपना है
दो वक़्त भरपेट खाना
तन ढँकने को कपड़ा
एक चारपाई
जिस पर गद्दा हो
और एक मोटी चद्दर ओढ़ने को
ताकि रात में ठंड न लगे...।

                                   (प्रांजल अग्रवाल)

(both photos courtesy: Google)

2 comments:

  1. वाह प्रांजल, आपने अपनी बातों को बहुत अच्छे से
    व्यक्त किया है|एक ही उम्र के दो बच्चों के सपने
    कितने अलग होते हैं-अपनी अपनी जरूरतों के मुताबिक...

    जनसंदेश में ये रचना प्रकाशित हुई इसके लिए बधाई ...

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  2. मैं और छोटू हमारे छोटे से प्रांजल की बहुत बड़ी ( अर्थ की दृष्टि से)कविता है ।संवेदना और वैचारिक गुणवत्ता से भरपूर !बहुत बधाई इस गुणात्मक लेखन के लिए।

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